Thursday, 24 December 2015

इंटरनेट कैसे काम करता

सर्वर किसे कहते है What is Server
इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर क्लाइंट और सर्वरों  का इस्तेमाल कर दुनिया भर में एक दूसरे को Data Tranfer करते है।  वह कंप्यूटर जो किसी Network के स्रोतों जैसे प्रोग्राम और डाटा  को व्यवस्थित करता है और एक केंद्रीय स्टोरेज एरिया उपलब्ध करता है सर्वर कहलाता है

वह कंप्यूटर जो इस Storage Area तक एक्सेज कर प्रोग्राम या डाटा  लेना चाहता है Client  कहलाता है।  इंटरनेट पर एक क्लाइंट जो कई सारे सर्वरो के फाईलो और प्रोग्रामो तक एक्सेस कर सकता है Host Computer कहलाता है।  आपका कंप्यूटर होस्ट कंप्यूटर ही है।

इंटरनेट की अंदरुनी संरचना में एक Transportation System  होता है।  एक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में ट्रैफिक का ज्यादातर लोड हाईवे वहन करते है।  जो बड़े शहरो को जोड़ते है। ठीक इशी प्रकार इंटरनेट में कुछ मुख्य कम्युनिकेशन लाईने होती है जो ट्रैफिक का अधिकतम भर वहन  करती है।  इन Communication  लाईनों  को संयुक्त रूप से इंटरनेट backbone कहते है।

internet-network-ip-tcp-router-data-backbone

इंटरनेट एक पैकेट आधारित नेटवर्क है। इसका मतलब है की जो डाटा  आप ट्रांसफर करते है वह पैकेट में बट जाता है तो तब क्या होता है जब आप इंटनेट के विभिन्न नेटवर्कों के बीच डाटा  ट्रांसफर करते है।  नेटवर्क नेटवर्क विशेष कम्प्यूटरों से जुड़े होते है जिनको राऊटर कहते है।

एक Router पहले यह चैक करता है की आपके Packet (डेटा) को कहाँ जाना है फिर वह यह तय करता है की किस दिशसा में इसे भेजा जाए।  यह संभव नहीं है की प्रत्येक राऊटर अन्य दूसरे राऊटर से जुड़ा हो।  वे सिर्फ आपके डाटा  की दिशा तय करते है।  राऊटर को यह बताने  के लिए की डेटा को कहाँ जाना है , एक तरह का एड्रेस होता है जो ip  कहलाता है।  IP (Internet Protocol )  के साथ ट्रांफर होने वाला डाटा  पैकेट में बटा  होता है।  यह एक अन्य प्रोटोकॉल द्वारा हैंडल किया जाता है जिसे TCP (transmission control protocol ) कहा जाता है।

बाद में यह खोज गया की IP एड्रेस जो वास्तव में सिर्फ नंबर होते है कंप्यूटर तो आसानी से हैंडल कर सकता है लेकिन  मनुष्य होने के नाते हमारे लिए यह संभव नहीं होता।  इससे निपटने के लिए 1984 में डोमेन नाम अस्तित्व  में आया।  Domain Name Internet  पर किसी व्यक्ति के अकाउंट  लोकेशन होते है।

Computer Hanging Problem Troubleshooting कंप्यूटर हैंग होना


कंप्यूटर हैंग होना बहुत ही आम समस्या है।  कंप्यूटर  अचानक चलते चलते रुक जाता है। या फिर विंडोज लोडिंग  के शुरुवात में रुक जाता है। कंप्यूटर के हैंग  होने के कई कारण हो सकते हैं। आपको यह पता करना होगा कि कंप्यूटर के हैंग  होने का प्रमुख्य कारण क्या हैं। यह जरुरी नहीं है की कंप्यूटर हैंग हो तो कंप्यूटर हार्डवेयर में कोई समस्या है।  हो सकता है सॉफ्टवेयर या किसी एप्लीकेशन के कारण , हार्ड डिस्क में स्पेस के कम होने से कंप्यूटर स्लो  चल रहा हो और हैंग कर रहा  हो।  

कंप्यूटर हैंग  के निम्नलिखित कारण हो सकते है।
कंप्यूटर में वायरस  का होना
वायरस  होने पर कंप्यूटर बायोस  में तो हैंग  नहीं होगा लेकिन विंडोज स्टार्टअप  के दोरान या फिर विंडोज  के पूरी तरह से खुलने  के बाद हैंग होगा। किसी फाइल  को ओपन  करने पर कंप्यूटर हैंग  हो या फिर कंप्यूटर काफी धीरे से  काम करे तो इसका मतलब हैं। कि कंप्यूटर में वायरस है उसके लिए आप कोई भी अच्छा एंटी वायरस  से पुरे कंप्यूटर को स्कैन  करे।

हार्ड डिस्क ड्राइव  में यदि बेड सेक्टर  हैं।
तब भी कंप्यूटर में हैंगिंग  कि समस्या हो सकती हैं। लेकिन यह कैसे पता चलेगा कि हार्ड डिस्क में बेड सेक्टर  हैं। यदि कंप्यूटर चलते चलते हैंग  होने लगे या फिर या अचानक कंप्यूटर हैंग  हो कर ब्लू स्क्रीन एरर  दे या रीस्टार्ट  हो तो हार्ड डिस्क  मे बेड सेक्टर हो सकते हैं

इसके लिए आप दूसरी हार्ड डिस्क लगा कर देखे।
यदि रैम  खराब है  तो भी कंप्यूटर हैंग  हो सकता हैं।   रैम  खराबी के कारण   स्क्रीन  पर कलर फुल लाइन आना या स्क्रीन के पिक्सेल का खराब होना, जैसे समस्या होती है।
और बार बार ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर  का कर्रप्ट  होना सब रैम और हार्ड डिस्क  कि खराबी से होते हैं आप इसके लिए रैम  को बदल कर देखे।
यदि एसएमपीएस  ख़राब है  तो भी आपका कंप्यूटर हैंग  करेगा   बहुत से पावर सप्लाई  सही पॉवर न देने कि वजह से कंप्यूटर हैंग होने लगते हैं

कंप्यूटर का प्रोसेसर  यदि ज्यादा गरम हो रहा है
यदि कंप्यूटर हैंग  हो रहा है  या बार बार रीस्टार्ट हो रहा है  तो   आप सीपीयू फैन  को चेक करे कि वो सही से काम कर रहा है कि नहीं यदि सीपीयू  का पंखा नहीं चल रहा है या ढीला है  तो उसको अच्छी तरह  से टाइट  करे यदि फिर भी सीपीयू ओवरहीट  कर रहा हैं। तो दूसरा प्रोसेसर  लगाये सीपीयू  बदलने के बाद भी अगर आपका प्रोसेसर  ज्यादा गरम हो  रहा हैं तो फिर आपके मदर बोर्ड के  पावर सेक्शन में  प्रॉब्लम है। मदर बोर्ड को रिपेयर करे या फिर दूसरा मदर बोर्ड लगाये

मदरबोर्ड की खराबी से भी कंप्यूटर हैंग करते है।  उसके लिए मदरबोर्ड को अच्छे से चेक करे।

आपको मेरे इस पोस्ट से कुछ सीखने या जानने को मिला है तो Share Like करना न भूले।

जनवरी के पहले हफ्ते में लॉन्च होगा Surface Pro 4 टैबलेट

माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी अपना नया टैबलेट Surface Pro 4 जनवरी महीने में लॉन्च कर सकती है. इस बात की जानकरी माइक्रोसॉफ्ट कमपनी के CEO सत्या नडेला ने दी है. दिल्ली में 7 जनवरी को एक इवेंट होने जा रहा है हो सकता है कम्पनी अपना टैबलेट इसी इवेंट में लॉन्च करे. कम्पनी ने इसके पहले Surface 3 लॉन्च कर चुकी है. इस टैबलेट की कीमत 59,000 रुपये थी.

Surface Pro 4 के फीचर कुछ इस तरह है इसमें 12.3 इंच का स्क्रीन डिस्प्ले, कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 4 का प्रोटेक्शन दिया गया है. इस टैबलेट की मोटाई 0.4 मिलीमीटर है. इस टैबलेट के सरफेस में पेन कोर्टाना इंटिग्रेशन का भी इस्तेमाल किया गया है. इसमें आपको कोर I5, कोर M3 और I7 भी शामिल है.

इस टैबलेट में 4GB का इस्तेमाल किया गया है. यह आपको 16GB रैम के वैरिएंट में भी मिलेगा. इस टैबलेट में इरेजर का भी इस्तेमाल किया गया है. यह इंटेल HD ग्राफिक 520 पर काम करेगा. इसमें आपको 8MP रियर कैमरा और 5MP फ्रंट कैमरा दिया गया है.

शाओमी का आने वाला स्मार्टफोन Mi 5 ऐसा दिखेगा?

शाओमी के अपकमिंग फोन Mi 5 के बारे में अब तक सामने आई जानकारी के आधार पर चीन की एक साइट ने एक तस्वीर पब्लिश की है। Mi 5 की इस तस्वीर को फोन के डिजाइन को लेकर अब तक सामने आई जानकारी और तस्वीरों के आधार पर तैयार किया गया है।

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इस तस्वीर में दिखाए गए स्मार्टफोन में सामने एक बेहद छोटा होम बटन दिख रहा है, जिसे फिंगरप्रिंट स्कैनर के लिए लगाया गया है। इन तस्वीरों के सोर्स Zaeke.com के मुताबिक MI 5 में दुनिया का सबसे छोटा और सबसे तेज सेंसर लगा होगा। इसकी पूरी बॉडी मेटल फ्रेम की होगी। फ्रंट में 2.5D ग्लास लगा होगा और बैक में 3D ग्लास। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें यूएसबी टाइप-C पोर्ट होगा।

बताया जा रहा है कि Mi 5 में क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 820 चिपसेट लगा होगा। इसमें 5.2 इंच की टचस्क्रीन होगी, जिसका रिजॉल्यूशन 1080p होगा। इसका रियर कैमरा 16 मेगापिक्सल होगा और फ्रंट कैमरा 13 मेगापिक्सल। खबर है कि यह ड्यूल सिम डिवाइस होगा, जिसकी बैटरी 3,600 mAh होगी। यह ऐंड्रॉयड 6.0 मार्शमैलो पर आधारित MIUI7 पर रन करेगा।

इसके 2 वैरिएंट्स में आने की उम्मीद जताई जा रही है। एक 3जीबी रैम और 32जीबी इंटरनल स्टोरेज वाला वैरिएंट होगा, जिसके लिए 1,999 युआन (करीब 20 हजार रुपये) चुकाने होंगे। दूसरे वैरिएंट में 4 जीबी रैम और 64 जीबी इंटरनल मेमरी होगी। इसकी कीमत 2,299 युआन (करीब 23 हजार रुपये) होगी।

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Wednesday, 23 December 2015

सावधान, इस तरह बैकस्पेस बटन दबाने से हैक हो सकता है आपका कंप्यूटर!

यदि आपके पास भी लीनक्स ओएस वाला कंप्यूटर या लैपटॉप है तो जरा सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि इस ओएस वाले कंप्यूटर्स को महज एक की (बैकस्पेस) दबाकर ही हैक किया जा सकता है। लीनक्स कंप्यूटरों की इस बहुत ही बड़ी कमी का पता हाल ही में एक सिक्योरिटी रिसर्च ग्रुप ने लगाया है।
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28 बार बैकस्पेस बटन दबाते ही हो जाता है ओपन
पॉलाटेक्निक यूनिवर्सिटी ऑफ वेलेंसिया के साइबर सिक्योरिटी ग्रुप के दो सिक्योसिटी शोधकताओं- हैक्टर मैक्रो तथा इस्माइल रिपोल ने इस बात का पता लगाया है। इन सिक्योरिटी रिसर्चर्स के मुताबिक किसी भी लीनक्स आधारित कंप्यूटर को उसके बैकस्पेस की को 28 बाहर दबाकर ओपन किया जा सकता है।
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दिल्ली के सुपर कंप्यूटर की दुनिया में धाक, जानिए कौनसे नंबर पर है
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अपने आप खुल जाता है लॉक
इन सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें यह कमी लीनक्स आधारित कंप्यूटर्स में यूज में लिए जाने वाले ग्रुब2 बूटलोडर में मिली है। इस बूटलोडर को ज्यादातर लीनक्स कंप्यूटरों में इस्तेमाल किया जाता है। ग्रुब2 की इस कमी की वजह से कंप्यूटर का बैकस्पेस बटन 28 बार दबाते ही उसका लॉक खुल जाता है।
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इस वर्जन में हैं कमी
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह कमी लीनक्स के कंप्यूटरों में हैं जिन्हें 2009 में ग्रुब2 बूटलोडर के साथ उतारा गया था। इन लैपटॉप्स और कंप्यूटर्स को बैकस्पेस की से बहुत ही आसानी से हैक किया जा सकता है। हालांकि उबंटू, रेड हॉट तथा डेबियन ने इस कमी को दुरूस्त करने के लिए पेचेज जारी किए हैं जिनका इस्तेमाल कर आप इसें रोक सकते हैं।
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लैपटॉप खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान |http://saikrupacomputers.blogspot.in/

लैपटॉप खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

बढ़ती तकनीक ने आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाईल एवं टेबलेट आदि गैजेट को हमारे जीवन का अभिन्न अंग बना दिया है। विद्यार्थी, कारोबारी, गृहिणी सभी को इसकी जरूरत पड़ती है। यदि आप भी लैपटॉप लेने का मन बना रहे है कि हमारा आपसे आग्रह है कि लैपटॉप खरीदने से पहले कई बातों पर आवश्यक ध्यान दे जैसकि सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपको लैपटॉप का इस्तेमाल कैसे और कहां करना है? यानि यदि आपको केवल इंटरनेट, ई-मेल, बिल्स भुगतान, ऑनलाइन खरीदारी, व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर आदि करना। दूसरा, लैपटॉप पर वेब चैटिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग, मूवी देखना, डेवलपर होने की स्थिति में कोड आदि बनाने हेतु तथा तीसरा, हाई डेफिनेशन गेम्स, हाई डेफिनेशन फिल्में देखने, ऐनिमेशन फिल्में बनाने तथा हैवी डाउनलोड इत्यादि करने में। इसके लिए आप निम्नलिखित बातों को ध्यान रखकर अपने लिए पहला अच्छा लैपटॉप खरीद सकते हैं
1-प्रोसेसर लैपटॉप का सबसे मुख्य हिस्सा सीपीयू प्रोसेसर होता है। कम उपयोग की स्थिति में एटीओएम (2जीएचजेड) प्रोसेसर ले सकते हैं पर यदि ड्यूल कोर मिले तो ज्यादा अच्छा है। दूसरे मीडियम उपयोग हो तो आई3 इंटेल प्रोसेसर को प्राथमिकता दें। कम बजट में आपको एएमडी कंपनी के लैपटॉप भी मिल सकते हैं। तीसरे ज्यादा प्रयोग होने पर आई 7 इंटेल को तरजीह दें।

2-एक्टिवेशन कोड चेक करें असली विंडोज का पता लगाने हेतु माई कम्प्यूटर' विकल्प में जाकर राइट क्लिक करके प्रापर्टीज में जाएं। वहां आपको एक्टिवेशन कोड व असली विंडो के तथ्य यानि जेनविन लोगो'दिख जाएगा।

3-रैम लैपटॉप की गति का महत्वपूर्ण अंग है। हल्के उपयोग हेतु नोटबुक में कम से कम 1 जीबी रैम होना चाहिए। माध्यम प्रयोग हेतु कम से कम 2-3 जीबी रैम हो। हैवी प्रयोग जैसे हाई एनिमेशन या डेफिनेशन आदि हेतु कम से कम 8 जीबी रैम जरूर लें।
4-हार्ड डिस्क में डेटा जैसे डॉक्यूमेंट, संगीत, फिल्म आदि होता है। जितनी ज्यादा क्षमता की हार्डडिस्क उतनी ज्यादा संग्रहण क्षमता। 500 जीबी से 1 टीवी हार्ड डिस्क को प्राथमिकता दें।
5-प्रयास करें कि आपके लैपटॉप में यूएसबी 2.0 पोर्ट्स के साथ ही एक यूएसबी 3.0 पोर्ट भी हो लेकिन यदि आप बजट के कारण दोनों में से एक ही ले सकते हैं तो यूएसबी 3.0 ही ले क्योंकि यह यूएसबी 2.0 हार्डवेयर को भी सपोर्ट करता है।

6-कम प्रयोग करने वालों के लिए 11 इंच स्क्रीन साइज ठीक है। माध्यम स्तर के उपयोग में 14 इंच की स्क्रीन उपयुक्त रहती है। इससे वजन भी अधिक नहीं होता है और न ही देखने में अधिक बड़ा लगता है। हैवी यूज हेतु 15-17 इंच का लैपटॉप ले सकते हैं।
7-कम उपयोग होने पर लैपटॉप से बढि़या टैबलेट, आई पैड या नेटबुक ठीक रहती है। इन्हें साथ ले जाना सरल है। माध्यम उपयोग वालों के लिए लैपटॉप का वजन 2.5-3.0 किलोग्राम से अधिक नहीं हो। हैवी प्रयोग हेतु बड़ी स्क्रीन से वजन भी अधिक हो जाएगा।
8-लैपटॉप में कम से कम 4 सेल की बैट्री होनी चाहिए पर अगर आप 6 सेल की बैट्री ले सके तो अच्छा रहेगा। अधिक उपयोग की स्थिति में लैपटॉप में 9 सेल वाली एक्सटेंडेड बैटरियां आ रही हैं। यह बैटरी के स्टैंड बाय समय को ढाई घंटे से चार घंटे तक बढ़ा देते हैं।
9-लैपटॉप में यह बहुत उपयोगी है। इससे आप अपने मोबाइल आदि गैजेट से लैपटॉप में फोटोज़, वीडियो, फाइल्स आदि ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके अभाव में आपको यूएसबी कॉर्ड की जरूरत पड़ेगी।
10-आजकल तो नेटबुक लैपटॉप सभी में वेबकैम आ रहा है। कम और माध्यम उपयोग हेतु 3 मेगापिक्सल का वेबकैम हो। हैवी यूजर्स 5 मेगापिक्सल के वेबकैम को प्राथमिकता दें।

11-कम और माध्यम उपयोग हेतु विंडोज की विंडोज 7 या 8 भी ले सकते हैं। अधिक बजट व हैवी यूज होने पर एप्पल आईओएस ही लें।



असल में सवाल यह है कि क्‍या आपको वास्‍तव में लैपटॉप की जरूरत है या किसी के कहने से या दूसरों को देखकर आप लैपटॉप खरीदने जा रहे हैं, जबकि आपको जरूरत वास्‍तव में डेस्‍कटॉप की है। तो क्‍या लैपटॉप डेस्‍कटॉप वाले काम नहीं कर सकता है, अगर हॉ तो इन दोनों को अलग-अलग क्‍यों बनाया गया है और अगर आपको लैपटॉप की वास्‍तव में जरूरत है तो उसको खरीदने से पहले क्‍या-क्‍या चैक पाइंट होने चाहिये, यानि आपके काम के हिसाब से लैपटॉप खरीदते समय किन बातों पर ध्‍यान दें, चलिये बात करते हैं -
पहले जानते हैं कि लैपटॉप बेहतर है या डेस्‍कटॉप, इस विषय पर भी बहुत लम्‍बी बहस हो सकती है। दोनों की ही अपनी-अपनी विशेषतायें हैं साथ ही कुछ परेशानियॉ भी जुडी हुई हैं, जैसे कि डेस्‍कटॉप को आप लैपटॉप की तरह कहीं भी बैग में रखकर ले जा नहीं सकते हैं, ऐसे ही लैपटॉप का की-बोर्ड और माउस खराब होने पर बाजार से तुरंत खरीदकर अपना काम शुरू नहीं कर सकते हैं। फिर ऐसे में कौन बेहतर है और किसका चुनाव करना चाहिये, सीधी सी बात है डेस्‍कटॉप देखने में भले ही भारी भरकम और बडा होता है लेकिन उसका मेंटेनेंस उतना ही सस्‍ता और आसान होता है जबकि इसके विपरीत लैपटॉप का मेंटेनेंस कहीं मॅहगा होता है, लैपटाॅप, डेस्‍कटॉप के मुकाबले एक नाजुक उपकरण है, लेकिन पोर्टेबल भी है  - तो अगर आपके काम से हिसाब से आपको लगता है कि आपको ऐसे पोर्टेबल उपकरण की आवश्‍यकता है जो आपके साथ कहीं जा सके और आपने लैपटाॅप खरीदने का मन बना ही लिया है तो इन बातों पर अवश्‍य ध्‍यान दें -
स्‍क्रीन
बहुत से व्‍यक्ति लैपटॉप का चुनाव स्‍क्रीन साइज से करते हैं, लेकिन लैपटॉप का चुनाव स्‍क्रीन साइज को देखकर कभी ना करें, एक तो स्‍क्रीन साइज बडा होने से लैपटॉप भारी हो सकता है, साथ ही अगर डिस्प्ले कम रेज्योलूशन वाला हुआ तो कंप्यूटिंग एक्सपीरिएंस खराब भी हो सकता है। इसलिये अच्‍छे रेज्योलूशन वाला स्‍क्रीन ही पसंद करें, अगर अच्‍छा दिखाई नहीं दिया तो आपका पैसा वेस्‍टेज ही समझिये। स्क्रीन रेज्योलूशन जरूर देखें। हॉ स्‍क्रीन एलईडी ही लें।
प्रोसेसर और रैम
बाजार में आजकल बहुत उन्‍नत किस्‍म के प्रोसेसर उपलब्‍ध है, जैसे कोर आइ5, कोर आइ7 अगर आप घरेलू यूजर हैं तो आपको इन प्रोसेसर की गति का अन्‍तर पता भी नहीं चलेगा, घरेलू काम के लिये आप कोर आइ3 या ड्यूल कोर का भी चुनाव कर सकते हैं, कोर आइ5, कोर आइ7 के मुकाबले यह काफी सस्‍ते होते हैं। रैम वैसे आजकल 2 GB से कम तो किसी लैपटॉप में आ ही नहीं रही है, लेकिन अगर आप और भी अच्‍छी स्‍पीड चाहते हैं तो आप  4 GB रैम का चुनाव कर सकते हैं।
ग्राफिक कार्ड
सभी लैपटॉप में मदरबोर्ड के साथ ही ग्राफिक कार्ड इनबिल्‍ट आता है, जिससे आप बेव ब्राउजिंग, मूवी और गेम्‍स का आनन्‍द लैपटॉप उठा पाते हैं, इसलिये अगर आपको अपने रोजमर्रा के काम जैसे एम0एस0 ऑफिस के अलावा बेव ब्राउजिंग, मूवी और गेम्‍स खेलने हैं तो आपको ग्राफिक कार्ड के बारे में ज्‍यादा सोचने के जरूरत नहीं है।
बैटरी
लैपटॉप की बैटरी ही इसकी जान होती है आपका लैपटॉप कितना भी गुडलुकिंग हो या कितना भी पावरफुल हो पावर तो उसका बैटरी से ही मिलती है, इसलिये इसका बैकअप अच्‍छा होना चाहिये, आप लैपटॉप खरीदने से पहले यह चैक कर लें कि लैपटॉप कितना बैकअप देता है, अगर आपके लैपटॉप पर यह लिखा है कि बैकअप 8-10 घण्‍टे है तो यह आपके सभी काम करने के बाद यह केवल 6-8 घण्‍टे ही रह जायेगा। इसमें स्‍क्रीन साइज के साथ-साथ यह भी मायने रखता है कि आप लैपटाॅप पर क्‍या काम कर रहे हैं।
स्‍पीकर
स्‍पीकर के बगैर वैसे तो कोई लैपटॉप आता ही नहीं है लेकिन हम बात रहे हैं कि स्‍पीकर कहॉ दिये गये हैं, स्‍पीकर का लैपटॉप के साइड में या आगे या पीछे होना ज्‍यादा बेहतर होता है, जिससे अगर आप उसे किसी किसी जगह पर भी रखे स्‍पीकर हमेशा खुले रहें।
यूएसबी
यूएसबी जिससे आप लैपटाॅप पर मोडेम, प्रिंटर, पेनड्राइव या अन्‍य सभी डिवाइस लगाते हैं, इसकाे भी देख लें क्‍यों कि किसी-किसी मॉडल में यह केवल दो ही यूएसबी पोर्ट दिये गये होते हैं, यह 4 से 6 के बीच हों तो आपको काम आसान हो जाता है, जिसमें 1-2 अगर आपके सीधे हाथ यानि राइट हैण्‍ड पर हो तो और भी बढिया एक्सपीरिएंस मिलता है।
की-बोर्ड / टचपैड
अगर आप टाइपिंग नहीं भी जानते हैं तो भी लैपटॉप के की-बोर्ड का चुनाव ढंग से करें कि आपकी उॅगलियॉ उन पर ठीक प्रकार से चल रहीं हैं या नहींं। वह ज्‍यादा टाइट तो नहीं है। साथ ही टचपैड को भी चला कर देख लें जो आपके लिये माउस का काम करता है।
वाईफाई कनैक्टिविटी
इन्‍टरनेट प्रयोग करने के लिये वाई फाई नेटवर्क आम बन गया है, वाई फाई की सहायता से इंटरनेट श्‍ोयर करना भी बहुत आसान हो गया है अब अाप किसी भी फोन को वाई-फाई राउटर या हॉटस्‍पाट में बदलकर आसानी से इंटरनेट शेयर कर सकते हैं, इतना ही नहीं आप अन्‍य उपकरणों को भी वाई फाई की सहायता से कमाण्‍ड आदि दे सकते हैं, अब तो वाई फाई प्रिंटर का भी चलन शुरू हो गया है, वाई फाई से ब्‍लूटूथ की तुलना में कई गुना तेजी से डाटा ट्रान्‍सफर किया जा सकता है, यह 1 सेकेण्‍ड में 60 MB डाटा ट्रान्‍सफर कर सकता है, इसलिये लैपटॉप खरीदने से पहले यह जरूर चैक करें कि उसमें वाईफाई कनैक्टिविटी है या नहीं।


क्या जरूरी नहीं है-

प्रोसेसर: जब आप कोई विशेष लैपटॉप नहीं खरीद रहे जैसे गेमिंग लैपटॉप या मशीन जिसपर आप 3डी मॉडलिंग कर सकें तो प्रोसेसर इनके लिए महत्वपूर्ण नहीं। पिछले कुछ वर्षों में प्रोसेसर काफी शक्तिशाली हो गया है। आजकल आमतौर पर वेब ब्राउसर जैसे प्रोग्राम्स में आइ3प्रोसेसर का 20 फीसद प्रोसेसिंग पावर भी उपयोग नहीं होता। मैकबुक एयर जैसे तेज मशीन बस 1.4 जीएचजेड डुअल कोर प्रोसेसर का प्रयोग करते हैं। इसलिए लैपटॉप खरीदते वक्त प्रोसेसर की चिंता न करें। हां कोर आइ7 कोर आइ5 से बेहतर है, और कोर आइ5 कोर आइ 3 से बेहतर है। लेकिन यदि आप आम तौर पर उपयोग के लिए लैपटॉप ले रहे हैं तो कोर आइ 3 वाला मशीन काफी है।

रैम: आजकल सभी लैपटॉप में 4 जीबी रैम होता है। जो आपकी जरूरत के लिए काफी है। इससे ज्यादा आपको मिल रहा है तो जाइए पर केवल अधिक क्षमता वाले रैम की वजह से लैपटॉप न चुनें क्योंकि इससे जरूरी चीजें हैं डिवाइस को चुनने के लिए।

ग्राफिक कार्ड: क्या आप अपने लैपटॉप पर बैट्लफील्ड जैसा कोई गेम खेलने जा रहे हैं? नहीं, तब ग्राफिक कार्ड की चिंता करने की जरूरत नहीं। एक समय था जब डिवाइस में लगा हुआ ग्राफिक कार्ड कमजोर हुआ करता था पर अब ऐसा नहीं है। पर आज यदि आप वेब ब्राउज और वीडियो देखने के लिए लैपटॉप खरीद रहे हैं तो ग्राफिक कार्ड का बिल्कुल न सोचें।

स्क्रीन साइज: बड़े स्क्रीन साइज को देखकर लैपटॉप की शॉपिंग न करें। खराब डिस्प्ले या कम रेज्योलूशन के साथ बड़ा स्क्रीन आपके कंप्यूटिंग एक्सपीरिएंस पर गलत प्रभाव डालेगा।

कितनी जल्दी ऑन होता है डिवाइस: करीब सभी नए लैपटॉप 30 सेकेंड से भी कम समय में ऑन हो जाते हैं। जो सबसे बेकार लैपटॉप होता है वह 30 सेकेंड का समय लेता है बेहतर डिवाइस के लिए 15 सेकेंड काफी है। लेकिन यह सब केवल नए डिवाइस के लिए है। जैसे जैसे आप इसमें प्रोग्राम्स डाउनलोड करते जाएंगे ऑन होने में डिवाइस देर लगाएगा ही। लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं, लैपटॉप शापिंग के लिए।

सिक्योरिटी फीचर्स: फिंगरप्रिंट स्कैनर आदि से न डरें। एक बार लैपटॉप खरीदने के बाद बस एक अच्छा सा पासवर्ड डालें बस आपका डाटा सुरक्षित रहेगा।
क्या है महत्वपूर्ण

स्क्रीन की क्वालिटी
स्क्रीन ही आपके लैपटॉप का प्रमुख कंपोनेंट है। यह अच्छा होगा तभी आपको अच्छा कंप्यूटिंग एक्सपीरिएंस मिलेगा। कंपनियां प्रोसेसर क्षमता तो बढ़ा रहीं हैं पर स्क्रीन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती। यदि आप 75,000 रुपये से ज्यादा खर्च कर रहे हैं तो आइपीएस स्क्रीन वाला लैपटॉप लें। अधिकांश लैपटॉप में टीएन पैनल की स्क्रीन होती है। इनमें अंतर क्या है- चलिए समझते हैं। आपकी तस्वीर गैलेक्सी टैबलेट या आइफोन पर ज्यादा अच्छी दिखेगी जबकि लैपटॉप पर उतनी अच्छी नहीं। क्योंकि अधिकांश टैबलेट और फोन में आइपीएस स्क्रीन होती है।
यदि आप ज्यादा खर्च नहीं भी कर रहे हैं तो स्क्रीन पर ध्यान देना जरूरी है इसके लिए आप किसी लैपटॉप शो में जाइए और जो भी लैपटॉप आपको पसंद आ रहा हो उसको परखिए। अपने साथ एक पेन ड्राइव ले जाना मत भूलिए जिसमें आपकी कुछ तस्वीरें हो। इस पेनड्राइव को लैपटॉप में लगाइए ओर अपनी तस्वीरों पर एक नजर डालिए कि वह कैसा दिखता है। तस्वीर में रंगों का तालमेल सही है या नहीं? एंगल भी बदल कर तस्वीरों को देखिए अगर ऐसा करने पर तस्वीरों के रंग में ज्यादा बदलाव नहीं तब स्क्रीन अच्छी है।
इसके बाद स्क्रीन का रेज्योलूशन जरूर देखें। ज्यादा रेज्योलूशन वाला स्क्रीन इमेज को बेहतर लुक प्रदान करता है। 1080 पिक्सल फुलएचडी या 1600 गुणा 900 पिक्सल रेज्योलूशन वाला स्क्रीन देखकर लैपटॉप खरीदें।
कीबोर्ड और टचपैड: लैपटॉप में दो महत्वपूर्ण पार्ट है- कीबोर्ड और टचपैड जिसे आमतौर पर कंज्यूमर्स नहीं देखते हैं। अच्छे लैपटॉप के पास ऐसे टाइपिंग कुंजीपटल होते हैं जो बेहतर है बस आप यह टाइप करते हुए यह जांच लें कि खट-खट की आवाज यह फिर ढीला सा कीबोर्ड न हो। यह आपको 100-200 शब्दों के टाइपिंग के बाद ही पता चल जाएगा।
लैपटॉप में टचपैड को रेस्पांसिव होना चाहिए। उपयोग के वक्त कर्सर को स्क्रीन पर आराम से चलना चाहिए। अगर आप लैपटॉप के लिए ज्यादा खर्च कर रहे हैं तो आपको ग्लास टचपैड वाला मशीन लेना चाहिए।
कैसा हो बनावट: ऐसे लैपटॉप को चुनें जिसमें मेटल यानि एल्युमिनियम या मैग्नीशियम की बॉडी हो। कार्बन फाइबर की बॉडी भी अच्छा है। लेकिन यह महंगा होता है। यदि आप प्लास्टिक बॉडी देख रहे हैं तो उन लैपटॉप को देखें जो बेहतर बनावट के साथ है।
स्पीकर्स: लैपटॉप खरीदने जा रहे हैं तो अपने पेनड्राइव में गाने ले जाना न भूलें। मशीन पर ये गाने चलाएं। यदि आपके लैपटॉप में अच्छे स्पीकर्स हैं तो आप यूट्यूब वीडियो का भी आप आनंद ले सकेंगे।
वजन: यह तो काफी जरूरी है क्योंकि लैपटॉप आपके साथ इधर उधर तो जाएगा ही। इसलिए 2 किलाग्राम से कम वजन वाले लैपटॉप को चुनें।

बैटरी: बेहतर बैटरी क्षमता वाले लैपटॉप को चुनें। एपल के अलावा कोई और कंपनी हमें बेहतर बैटरी के साथ लैपटॉप नहीं दे सकता है। लेकिन फिर भी यदि किसी कंपनी का दावा है कि उसका मशीन 10 घंटे तक बैटरी लाइफ दे सकता है तो यह तो पक्का है कि 7 घंटे तक बैटरी चलेगी ही। तो वे लैपटॉप जो 6-7 घंटे तक बैटरी लाइफ देने का दावा करते हैं उनके मुकाबले 10 घंटे तक की बैटरी लाइफ वाला मशीन ज्यादा बेहतर है।



जब भी आप लैपटॉप खरीदने जा रहे हैं तो सेल्समैन द्वारा दिए जा रहे व्याख्यान पर कभी भी विश्वास न करें, बस अपनी आंखों पर विश्वास करें।